ये आया कैसा मोड़ है ज़िन्दगी में मेरी,
जो तन्हाई की सौगात लाया है...
न जाने कहा से,
एक कला अँधेरा छाया है...
लड़ रहा है दिया इस अंधी से कहीं,
ख़तम हो रही है इसकी सासिएँ ऐसे ही...
अज में कुछ कहना नहीं चाहता,
अज में कुछ सुनना नहीं चाहता...
अज में किसी से लड़ना भी नहीं चाहता..
बस चाहता हु की कोई समजले मुझे,
अज कोई अपने आझोश में ले ले मुझे...
इस दिल से डर को दूर भगा जाये कोई,
ख़ुशी न दे सही, बस मेरे हालत को समाज ले कोई...
ये तन्हाई अज मुझे कटती है,
सबसे दूर ले जाती है...
अज कोई पास नज़र नहीं अत,
तन्हाई में डूबा हुआ हु, आज मुझे कुछ रास नहीं अत...
1 comment:
Tu na jane aas paas hai khuda..
Tu na jane aas paas hai khuda..
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